सर्जिकल दोहे

*सर्जिकल दोहे*:~
*रहिमन* कभी ना *राखिये*
*काला धन लुकाय*,
जाने कब *मोदी श्री*
*सर्जिकल* कर जाये..!!
*हरे लाल* सब *नोट* को
जोड़त बने *अमीर*,
*एक रात* में हो गए
*राजा रंक फ़कीर*..!!
*नोटन* की *बोरी भरी*
*दिया कभी* ना *टैक्स*,
*रोते*आज *दहाड़* कर
*कैसे करिहे रिलैक्स*..!!
*ब्लेक मनी* की *चाह* मे
*भूल* गए *दिन रात*
*एक चाल* में *मिल* गयी
सबको *शय और मात*..!!
*मेहनत* का ही *जोड़िये*
कह गये *संत फ़क़ीर*,
*समझ* गए तो *ठीक है*
वर्ना *बीप बीप बीप*..!!
         

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